Uttarakhand tunnel collapse: आखिर सब की नज़रें नवयुग इंजीनियरिंग पर क्यों हैं?
पिछली अप्रैल में केयरएज ने Navayuga Engineering Construction Limited की लॉ़ग टर्म बैंक फैसिलिटी केयर ए से घटाकर केयर ए माइनस कर दी थी। पिछले 18 महीनों से कंपनी पर कोई भी क्रेडिट रिपोर्ट नहीं आई है।

Uttarakhand में चार धाम सुरंग परियोजना का एक हिस्सा ढहने से इसके निर्माण के लिए जिम्मेदार कंपनी Navayuga Engineering Company Limited (एनईसीएल) पर सवाल खड़े हो गए हैं। नवयुग कंपनी क्या है और इसने किन-किन परियोजनाओं पर काम किया है? क्या कंपनी के पास इतनी विशेषज्ञता है कि वो पहाड़ों में भी बिना किसी बडी दुर्घटना के बड़ी से बड़ी सुरंगों का निर्माण कर सकें। क्योंकि जिस तरह से मजदूर फंसे उसे सवाल उठता है कि क्या सुरंगों का निर्माण वाली कंपनियों के पास वो तकनीक और विशेषज्ञता है जो भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोक सकेंगी। लेकिन हैरानी की बात ये है कि Navayuga Engineering Construction Limited पर कम से कम 18 महीने से कोई क्रेडिट रेटिंग रिपोर्ट नहीं आई है। NECL के प्रमोटर सी वी राव हैं। राव तीन दशकों से अधिक समय से अस्तित्व वाली इस कंपनी की कमान संभाल रहे हैं। कंपनी का मुख्यालय Hyderabad में है और इसके पास सिविल निर्माण, बुनियादी ढांचे के विकास, सूचना प्रौद्योगिकी और स्थानिक प्रौद्योगिकी में एक विविध पोर्टफोलियो है। Navayuga Engineering Construction Limited प्रमुख रूप से विशेष निर्माण कार्य करने में लगी हुई है। इसके पोर्टफोलियों में जितने प्रोजेक्ट्स हैं उनमें सबसे ज्यादा आंध्र प्रदेश से हैं।
पिछली अप्रैल में Careage ने Navayuga Engineering Construction Limited की लॉ़ग टर्म बैंक फैसिलिटी केयर ए से घटाकर केयर ए माइनस कर दी थी। पिछले 18 महीनों से कंपनी पर कोई भी क्रेडिट रिपोर्ट नहीं आई है। केयर एड की रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी के पास 31 दिसंबर, 2021 तक, 22,651.58 करोड़ रुपये (28 फरवरी, 2021 को 25,706.09 करोड़ रुपये) की ऑर्डर बुक थी। कंपनी के पास 8 राज्यों में फैली हुई है। कुल ऑर्डर बुक में आंध्र प्रदेश का हिस्सा लगभग 25% है, इसके बाद महाराष्ट्र और तेलंगाना का लगभग 21 प्रतिशत हिस्सा है। हैरानी की बात ये है कि ज्यादातर ऑर्डर आंध्र प्रदेश से हैं। आंध्र प्रदेश में ऑर्डर मुख्य रूप से निजी संस्थाओं के लिए रक्षा परियोजनाओं/परियोजनाओं से संबंधित हैं। केयरएज की रिपोर्ट में कहा गया कि ऑर्डर बुक सड़कें, पुल और सुरंगें, सिंचाई और रक्षा परियोजनाएं शामिल हैं।