Sunday Motivation: ग्रोफर्स से ब्लिंकिट: एक छोटी सी कंपनी से मेगा बिज़नेस बनने का सफर

अलबिंदर ढिंढसा और सौरभ कुमार ने एक सपना देखा था, एक छोटे से ग्रोसरी प्लेटफॉर्म को भारत में सबसे बड़ा क्विक डिलिवरी प्लेटफॉर्म बनाने का सपना। और ये सपना अब साकार होते हुए दिख रहा है। लेकिन ब्लिकंट का पहला पड़ाव नहीं था इससे पहले इसका नाम था ग्रोफर्स । जिसने अपनी तेज़ डिलीवरी और व्यापक उत्पादों के कारण लोगों के बीच लोकप्रियता हासिल की।

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ग्रोफर्स से ब्लिंकिट: एक छोटी सी कंपनी से मेगा बिज़नेस बनने का सफर
ग्रोफर्स से ब्लिंकिट: एक छोटी सी कंपनी से मेगा बिज़नेस बनने का सफर

By Ankur Tyagi:

अलबिंदर ढिंढसा और सौरभ कुमार ने एक सपना देखा था, एक छोटे से ग्रोसरी प्लेटफॉर्म को भारत में सबसे बड़ा क्विक डिलिवरी प्लेटफॉर्म बनाने का सपना। और ये सपना अब साकार होते हुए दिख रहा है। लेकिन ब्लिकंट का पहला पड़ाव नहीं था इससे पहले इसका नाम था ग्रोफर्स । जिसने अपनी तेज़ डिलीवरी और व्यापक उत्पादों के कारण लोगों के बीच लोकप्रियता हासिल की। 2021 में, इस कंपनी ने एक महत्वपूर्ण बदलाव करते हुए अपना नाम बदलकर ब्लिंकिट कर लिया। यह बदलाव केवल नाम तक सीमित नहीं था, बल्कि इसके साथ कंपनी की रणनीति और बिजनेस मॉडल में भी बड़े परिवर्तन देखने को मिले। आइए जानते हैं ग्रोफर्स से ब्लिंकिट बनने की इस यात्रा के बारे में।

ग्रोफर्स की शुरुआत

2013 में अल्बिंदर ढिंढसा और सौरभ कुमार ने की। ग्रोफर्स ने ऑनलाइन किराना डिलीवरी का एक नया रूप पेश किया। उपभोक्ता घर बैठे किराना सामान ऑर्डर कर सकते थे और कंपनी कुछ घंटों में उनके दरवाजे तक सामान पहुंचा देती थी। इसका प्रमुख आकर्षण स्थानीय दुकानों के साथ साझेदारी थी, जिससे छोटे व्यापारी भी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर आ सके।

बदलती मांग और चुनौती

हालांकि ग्रोफर्स ने शुरुआती सफलता हासिल की, लेकिन ई-कॉमर्स क्षेत्र में बढ़ती प्रतिस्पर्धा और बदलते उपभोक्ता व्यवहार ने कंपनी के सामने नई चुनौतियां खड़ी कर दीं। इस समय स्विगी और ज़ोमैटो जैसी कंपनियां भी क्विक डिलीवरी की दिशा में कदम बढ़ा रही थीं। ग्राहकों की प्राथमिकता भी धीरे-धीरे बदल रही थी, वे अब तेज और अधिक सटीक डिलीवरी चाहते थे। यही वह समय था जब ग्रोफर्स ने एक नए दिशा में कदम बढ़ाने का फैसला किया।

ब्लिंकिट का जन्म

2021 में, ग्रोफर्स ने अपना नाम बदलकर ब्लिंकिट रख लिया और कंपनी ने अपने बिजनेस मॉडल को तेज डिलीवरी (10 मिनट की डिलीवरी) के इर्द-गिर्द केंद्रीत कर लिया। इसके साथ ही, कंपनी ने कई छोटे वेयरहाउस और डार्क स्टोर्स खोलकर अपनी लॉजिस्टिक क्षमता में वृद्धि की, ताकि ग्राहकों को जल्दी से जल्दी सामान मिल सके।

ब्लिंकिट का नया दृष्टिकोण

ब्लिंकिट ने सिर्फ किराना ही नहीं, बल्कि कई अन्य आवश्यक वस्तुएं भी डिलीवर करना शुरू किया, जैसे दवाइयां, व्यक्तिगत देखभाल के सामान, और दैनिक उपयोग की वस्तुएं। इसके अलावा, ऐप की डिजाइन और उपभोक्ता अनुभव में भी सुधार किया गया, ताकि ग्राहक आसानी से और तेज़ी से अपनी ज़रूरत का सामान ऑर्डर कर सकें।

आज दीवाली हो या दशहरा, कपड़ों से लेकर धनिए तक, हर चीज ब्लिंकट पर 10 मिनट में मिलती है। विकसित देशों के ऑनलाइन प्लेटफॉर्म भी हैरान है कि भारत में इतनी तेज 10 मिनट में डिलिवरी कैसे होती है और हर चीज एक ही प्लेटफॉर्म पर मिलती है।

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