SEBI New Chairman: तुहिन कांता पांडे बने सेबी के नए चेयरमैन! 3 साल के लिए होगा कार्यकाल

कैबिनेट की नियुक्ति समिति द्वारा तुहिन कांता पांडे की यह नियुक्ति तीन साल के लिए हुई है। ओडिशा कैडर के 1987 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारी पांडे, वर्तमान में वित्त सचिव और राजस्व विभाग के सचिव हैं।

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By Gaurav Kumar:

SEBI New Chief: मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) को नया चेयरमैन मिल गया है। तुहिन कांता पांडे (Tuhin Kanta Pandey) को माधबी पुरी बुच की जगह सेबी के 11वें अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया है। सेबी प्रमुख के रूप में बुच का 3 साल का कार्यकाल 1 मार्च, 2025 को समाप्त हो रहा है।

कैबिनेट की नियुक्ति समिति द्वारा तुहिन कांता पांडे की यह नियुक्ति तीन साल के लिए हुई है। ओडिशा कैडर के 1987 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारी पांडे, वर्तमान में वित्त सचिव और राजस्व विभाग के सचिव हैं।

तुहिन पांडे का नेतृत्व ऐसे समय में आया है जब भारतीय बाजार से विदेशी निवेशक जमकर पैसा निकाल रहे हैं जिसके कारण बाजार गिरकर कारोबार कर रहा था। जनवरी के बाद से, विदेशी निवेशकों द्वारा ₹1 लाख करोड़ से अधिक की निकासी की गई है, जिससे नए सेबी अध्यक्ष के लिए चुनौतीपूर्ण माहौल बन गया है। 

नए सेबी चेयरमैन की नियुक्ति के बाद मार्केट एनालिस्ट भी तुहिन पांडे की नीतियां पर नजर बनाए हुए हैं कि नए चेयरमैन की क्या निति होती है और वों निवेशकों का विश्वास कैसे बहाल करते हैं। 

तुहिन पांडे का एक अच्छा ट्रैक रिकॉर्ड है, उन्होंने 2025-26 के बजट में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसने मध्यम वर्ग को टैक्स राहत में ₹1 लाख करोड़ दिए। इसके अलावा, उन्होंने 1961 के लंबे समय से चले आ रहे आयकर अधिनियम को बदलने के उद्देश्य से एक नए आयकर विधेयक का मसौदा तैयार करने में योगदान दिया।

Department of Investment and Public Asset Management (DIPAM) में सबसे लंबे समय तक सचिव के रूप में उनका पिछला कार्यकाल पब्लिक सेक्टर के उद्यमों में सरकारी इक्विटी के मैनेजमेंट में उनकी क्षमता को दिखाता है, जो उन्हें सेबी की भूमिका के लिए उपयुक्त बनाता है।

DIPAM में अपने कार्यकाल के दौरान, पांडे ने एयर इंडिया के निजीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसके कारण टाटा ग्रुप ने एयरलाइन का अधिग्रहण किया। उनका विनिवेश और निजीकरण के प्रति रणनीतिक दृष्टिकोण यह दिखाता है कि वे जटिल वित्तीय समस्याओं को सुलझाने में सक्षम हैं। यह कौशल सेबी में उनकी नई जिम्मेदारी के लिए बहुत जरूरी है।

पांडे ने पंजाब यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स में मास्टर ऑफ आर्ट्स और ब्रिटेन के बर्मिंघम यूनिवर्सिटी से एमबीए की किया है। उनके व्यापक करियर में राज्य और केंद्र सरकारों में विभिन्न भूमिकाएं शामिल हैं, जिससे उन्हें सार्वजनिक वित्त और शासन की गहरी समझ मिली है।
 

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