RBI के नए दिशा निर्देश, विल्फुल डिफॉल्टर को दोबारा मिल सकेगा कर्ज
हमेशा से हम देखते आए हैं कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने विल्फुल डिफॉल्टर यानि जानबूझकर कर्ज न चुकाने वालों पर सख्त से सख्त कार्यवाही की है। लेकिन इस बार RBI ने अपने नए सर्कुलर के जरिए लोन लेने वालों के लिए ऐसा कदम उठाया है जिसने सबको हैरान कर दिया है। इतना ही नहीं इस नए सर्कुलर के जरिए भगोड़े विजय माल्या, नीरव मोदी जैसे लोगों क्या बच जाएंगे? इस तरह के सवाल भी पूछे जा रहे हैं? क्या है मामला, आइये समझते हैं।

हमेशा से हम देखते आए हैं किReserve Bank of India ने विल्फुल डिफॉल्टर यानि जानबूझकर कर्ज न चुकाने वालों पर सख्त से सख्त कार्यवाही की है। लेकिन इस बार RBI ने अपने नए सर्कुलर के जरिए लोन लेने वालों के लिए ऐसा कदम उठाया है जिसने सबको हैरान कर दिया है। इतना ही नहीं इस नए सर्कुलर के जरिए भगोड़ेVijay Mallya, Nirav Modi जैसे लोगों क्या बच जाएंगे? इस तरह के सवाल भी पूछे जा रहे हैं? क्या है मामला, आइये समझते हैं।
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सर्कुलर में कहा गया है कि अगर आपने जान बूझकर बैंकों का कर्ज नहीं चुकाया है तो भी आपको नया लोन मिल सकेगा। जी हां, आपने बिल्कुल सही समझा, अगर किसी ने जान बूझकर कर्ज नहीं चुकाया है तो भी उसे नया लोन मिल सकेगा। RBI ने अपने दिशा निर्देश में कहा है कि बैंक ऐसे कर्जदारों की पहचान करें, जिन्होंने जानबूझकर लोन न चुकाया हो और उनके साथ सेटलमेंट करें। ये सेटलमेंट होने के 12 महीने बाद बैंक दोबारा से ऐसे कर्जदारों को लोन दे सकते हैं। हालांकि, बैंक बोर्ड चाहे तो इस समय को और ज्यादा बढ़ा सकता है। इसको और गहराई से समझें तो RBI की नई व्यवस्था कहती है कि अगर कोई व्यक्ति लोन डिफॉल्टर बन चुका है या कोई कंपनी बैंक फ्रॉड में शामिल रही है, तो बैंक और फाइनेंशियल कंपनी कुछ कम पैसों में हिसाब-किताब करके लोन का सेटलमेंट कर सकते हैं। ये सेटलमेंट कर्जदार के प्रति कोई कानूनी या आपराधिक कार्यवाही की भावना के बगैर किया जाएगा।
अब आप सोच रहे होंगे कि जिन बैंकों के लोन का डिफॉल्ट हुआ है, उस लोन का क्या होगा? तो आपको बताएं कि बैंक और फाइनेंशियल कंपनियां उस लोन को राइट ऑफ कर देंगी यानि कि लोन को तकनीकी तौर पर बट्टे-खाते में डाल दिया जा सकता है। लेकिन दूसरी ओर लोन डिफॉल्टरों से बकाए की रकम की वसूली करने की कोशिश जारी रहेगी। इस मामले में बैंकों के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स से अप्रूवल लेना होगा। इतना ही नहीं किसी को विलफुल डिफॉल्टर घोषित करने में सावधानी बरतनी होगी, क्योंकि लोन के कंप्रोमाइज सेटलमेंट पर फैसला लेने की जिम्मेदारी बैंक के ऑपरेटिंग ऑफिस की बजाय अब सुपरवाइजरी ऑफिस की होगी।इसके अलावा बैंकों को अपने लोन देने के फैसले पर ज्यादा जिम्मेदारी दिखानी होगी। अभी किसी कर्जदार या कंपनी के डिफॉल्टर होने की स्थिति में सेटलमेंट की रकम गिरवी रखे सामान की मौजूदा नेट वैल्यू से कम नहीं हो सकती है। जबकि बैंक डिफॉल्टर के लोन को रीस्ट्रक्वर नहीं कर सकते हैं, और ना ही उसे नया लोन दे सकते हैं। अब देखना होगा कि RBI की ओर से इस नई व्यवस्था के जरिए देश में बैंकों और फाइनेंस कंपनियों के फंसे कर्ज को निपटाने के तौर-तरीके किस तरह से बदल सकते हैं।
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