क्या पेट्रोल सस्ता होने वाला है?

खाद्य तेल और गेहूं के साथ ही पेट्रोल की कीमतों तक भी बढ़ाया जा सकता है। भोजन और ईंधन की बढ़ती लागत को कंट्रोल करने के लिए सरकार अलग अलग मंत्रालयों के बजट से 1 लाख करोड़ रुपये फिर से आवंटित करने की योजना पर विचार कर रही है।

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क्या पेट्रोल सस्ता होने वाला है?
क्या पेट्रोल सस्ता होने वाला है?

By BT बाज़ार डेस्क:

जुलाई में रिटेल महंगाई दर के RBI के कम्फर्ट जोन से बाहर जाने के बाद अब सरकार इसे घटाने के लिए कमर कसकर तैयार है। इसके लिए खाने पीने के सामान से लेकर पेट्रोल-डीजल तक पर टैक्स कटौती करने की संभावना पर विचार किया जा रहा है। अनुमान है कि टैक्स कटौती का दायरा

खाद्य तेल और गेहूं के साथ ही पेट्रोल की कीमतों तक भी बढ़ाया जा सकता है। भोजन और ईंधन की बढ़ती लागत को कंट्रोल करने के लिए सरकार अलग अलग मंत्रालयों के बजट से 1 लाख करोड़ रुपये फिर से आवंटित करने की योजना पर विचार कर रही है।

इस रिपोर्ट की टाइमिंग भी बेहद दिलचस्प है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन के दौरान देश में बढ़ती महंगाई को कम करने का वादा किया था। अब फंड को फिर से आवंटित करने का जो सुझाव सामने आया है उसपर प्रधान मंत्री फैसला लेंगे। दरअसल भारत में 2022 से महंगाई लगातार एक बड़ी समस्या बनी हुई है
इस साल फरवरी से लेकर जून तक केवल कुछ महीनों के लिए महंगाई से राहत मिली थी

लेकिन जुलाई में एक बार फिर से इसने लोगों को आफत में डाल दिया है। अगर महंगाई दर से निपटने के लिए सरकार इस तरीके को आजमाती है तो ये  लगातार दूसरा साल होगा जब महंगाई का मुकाबला करने के लिए इस करह से फंड आवंटित किया जाएगा। लोगों को महंगाई से राहत दिलाने के लिए सरकार ने पिछले साल 2 लाख करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च किए थे। इस बार भी सरकार महंगाई को कंट्रोल करने के लिए

गैर बासमती चावल के निर्यात पर रोक लगा चुकी है। विदेशों से गेहूं को खरीदने की संभावनाओं को तलाशा जा रहा है

जुलाई में जिस तरह से महंगाई दर 15 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंची है उससे साफ हो गया है कि ईंधन से लेकर सब्जियों और अनाज तक, हर तरह की महंगाई लोगों की ज़िंदगी को मुश्किल बना रही है। वैसे भी अब जिस तरह से अचानक मानसून की रफ्तार सुस्ती पड़ गई है उससे तो आशंका है कि महंगाई दर में अनुमान के मुकाबले कहीं ज्यादा बढ़ोतरी हो सकती है। अब जिस तरह से अगले साल आम चुनाव और उसके पहले कई राज्यों में चुनाव हैं तो उससे डर है कि सरकार को ये महंगाई कहीं बड़ी मुसीबत में ना डाल दे। वैसे भी जिस गरीब तबके के लिए सरकार अलग अलग कल्याणकारी योजनाओं को चलाकर उनका भरोसा जीतने की कोशिश में लगी है ये बढ़ी हुई महंगाई सबसे ज्यादा उन्हीं पर चोट कर रही है। अगर इसपर जल्दी मरहम नहीं लगाया गया तो फिर सरकार का ये मजबूत और भरोसेमंद वोट बैंक खिसक भी सकता है

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