Economy Recession: अमेरिकी अर्थव्यवस्था में कमजोरी के संकेत, मंदी की आशंका बढ़ी
अमेरिकी अर्थव्यवस्था को लेकर चिंताएं गहराने लगी हैं। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, उपभोक्ता विश्वास (Consumer Confidence) में भारी गिरावट आई है, जो अगस्त 2021 के बाद सबसे बड़ी गिरावट मानी जा रही है।

अमेरिकी अर्थव्यवस्था को लेकर चिंताएं गहराने लगी हैं। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, उपभोक्ता विश्वास (Consumer Confidence) में भारी गिरावट आई है, जो अगस्त 2021 के बाद सबसे बड़ी गिरावट मानी जा रही है। इससे संकेत मिलते हैं कि अमेरिका आर्थिक मंदी की ओर बढ़ सकता है।
मंगलवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, फरवरी में कंज्यूमर कॉन्फिडेंस इंडेक्स 7 अंक गिरकर 98.3 पर आ गया, जो लगातार तीसरी बार गिरावट दर्ज कर रहा है। यह आंकड़ा अर्थशास्त्रियों के पूर्वानुमानों से भी कम रहा, जिससे शेयर बाजार और बॉन्ड यील्ड पर नकारात्मक असर पड़ा।
बॉन्ड यील्ड में गिरावट से बाजार में अनिश्चितता
अमेरिका में 10-वर्षीय ट्रेजरी यील्ड गिरकर 4.294% हो गई, जो दिसंबर के बाद का सबसे निचला स्तर है। वहीं, 2-वर्षीय ट्रेजरी यील्ड भी 4.098% तक गिर गई। जब ट्रेजरी यील्ड में गिरावट होती है, तो यह दर्शाता है कि निवेशक शेयर बाजार के बजाय सुरक्षित निवेश की ओर रुख कर रहे हैं, जिससे आर्थिक अस्थिरता का संकेत मिलता है।
अमेरिकी अर्थव्यवस्था में सुस्ती के मुख्य कारण
उपभोक्ता विश्वास में गिरावट: फरवरी में Consumer Confidence Index गिरकर 98.3 पर आ गया, जबकि अनुमान 103.0 का था। जनवरी में यह 105.3 था, यानी उपभोक्ता खर्च करने में हिचकिचाहट महसूस कर रहे हैं।
बिजनेस सेक्टर पर असर: फिलाडेल्फिया फेडरल रिजर्व का सर्विस इंडेक्स -12.9 पर गिर गया, जो अप्रैल 2023 के बाद सबसे कम है। बिक्री और राजस्व इंडेक्स -12.7 पर पहुंच गया, जो मई 2020 के बाद सबसे खराब स्थिति दर्शाता है।
शेयर बाजार में घबराहट: अर्थशास्त्री क्रिस रुपकी के अनुसार, अमेरिकी अर्थव्यवस्था इस साल बड़ी गिरावट की ओर बढ़ रही है। निवेशकों में धारणा बन रही है कि सरकारी नीतियां उपभोक्ता विश्वास को नुकसान पहुंचा रही हैं।
क्या ट्रंप की टैरिफ नीति और संकट बढ़ाएगी?
पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संकेत दिया है कि अमेरिका कनाडा और मैक्सिको पर नए आयात शुल्क (Tariffs) लगाने की योजना बना रहा है। अगर ऐसा हुआ, तो यह व्यापार को प्रभावित कर सकता है और महंगाई को और बढ़ा सकता है।
फेडरल रिजर्व की अगली रणनीति?
यूनीवर्सिटी ऑफ मिशिगन के सर्वे में कंज्यूमर सेंटीमेंट कमजोर पाई गई। जनवरी में मकान बिक्री (Home Sales) में भारी गिरावट दर्ज की गई। S&P Global Purchasing Managers’ Index अनुमान से कम रहा, जिससे मंदी की संभावना और बढ़ गई।
महंगाई दर पर नजर
निवेशकों की नजर शुक्रवार को जारी होने वाले PCE (Personal Consumption Expenditures) डेटा पर होगी, जो महंगाई का प्रमुख संकेतक माना जाता है। फेडरल रिजर्व मार्च 18-19 को ब्याज दरों पर फैसला लेगा। जनवरी में महंगाई CPI रिपोर्ट के अनुसार उम्मीद से ज्यादा बढ़ी थी, जिससे ब्याज दरों में जल्द कटौती की संभावना कम हो गई है। फिलहाल, ब्याज दरें 4.25% से 4.50% के बीच बनी हुई हैं।
भारत और सोने की कीमतों पर प्रभाव
डॉलर कमजोर होने पर सोना महंगा हो सकता है। अमेरिकी मंदी के संकेत भारतीय शेयर बाजार में अस्थिरता बढ़ा सकते हैं। अगर फेडरल रिजर्व ब्याज दरें नहीं घटाता, तो भारत में विदेशी निवेश (FDI) प्रभावित हो सकता है। अमेरिकी अर्थव्यवस्था में आई इस गिरावट से वैश्विक बाजारों पर असर पड़ने की संभावना है, जिससे आने वाले महीनों में बाजार में उतार-चढ़ाव बना रह सकता है।