सेकेंड हैंड कार लेने जा रहे हैं? इन 5 बातों की अनदेखी भारी नुकसान करवा सकती है
इस आर्टिकल में हम आपको उन 5 गलतियों के बारे में बताएंगे जो आमतौर पर लोग सेकेंड हैंड कार खरीदते वक्त करते हैं। चलिए एक-एक कर जानते हैं।

Second Hand Car Buying Tips: भारत में सेकेंड हैंड कारों का बाजार तेजी से बढ़ रहा है। बजट, टैक्स बचत और तुरंत डिलीवरी जैसे कारणों से कई लोग नई कार की जगह पुरानी कार खरीदना पसंद कर रहे हैं। लेकिन इस खरीद में छोटी सी लापरवाही बड़ा नुकसान करवा सकती है। इस आर्टिकल में हम आपको उन 5 गलतियों के बारे में बताएंगे जो आमतौर पर लोग सेकेंड हैंड कार खरीदते वक्त करते हैं। चलिए एक-एक कर जानते हैं।
1. कार की सर्विस हिस्ट्री और डॉक्युमेंट्स की ठीक से जांच न करना
कई खरीदार गाड़ी के सिर्फ मॉडल और कीमत पर ध्यान देते हैं, लेकिन उसकी सर्विस हिस्ट्री, बीमा क्लेम रिकॉर्ड, आरसी (रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट), इंश्योरेंस पेपर, पीयूसी और टैक्स रसीद की जांच नहीं करते। इससे बाद में क्लेम रिजेक्ट होने या कानूनी दिक्कतें सामने आ सकती हैं।
2. सिर्फ ओडोमीटर देखकर निर्णय लेना
अधिकतर ग्राहक कम किलोमीटर चली कार को बेहतर मानते हैं, लेकिन ओडोमीटर के साथ छेड़छाड़ आम है। जरूरी है कि टेस्ट ड्राइव और गाड़ी की कंडीशन (टायर, ब्रेक, इंजन साउंड, सस्पेंशन) से गाड़ी का सही अंदाजा लगाया जाए। अगर आपको समझ नहीं आ रहा है तो आप एक बार ट्रस्टेड मैकेनिक से भी चेक करवा सकते हैं।
3. गाड़ी की रीसेल वैल्यू और ब्रांड इमेज को नजरअंदाज करना
कुछ मॉडल्स की सेकेंड हैंड मार्केट में रीसेल वैल्यू बेहतर होती है, जैसे मारुति, ह्युंडई, टोयोटा। जबकि कुछ कारें जल्दी डिप्रिसिएट हो जाती हैं और उनका पार्ट्स मिलना मुश्किल होता है। ब्रांड और मॉडल चुनते समय यह देखना जरूरी है कि वो लॉन्ग टर्म में भी टिकेगा या नहीं।
4. टेस्ट ड्राइव को औपचारिकता समझना
सिर्फ बैठ कर गाड़ी स्टार्ट करना टेस्ट ड्राइव नहीं होता। अलग-अलग रास्तों (गली, हाईवे, ट्रैफिक) पर गाड़ी चला कर देखें कि पिकअप, ब्रेकिंग, एसी, क्लच व गियर शिफ्टिंग कैसी है। इससे आप किसी छुपे हुए मैकेनिकल दोष को पकड़ सकते हैं।
5. ट्रांसफर प्रक्रिया को टालना या भरोसे पर छोड़ना
आरसी ट्रांसफर, इंश्योरेंस नामांतरण और नो क्लेम बोनस की ट्रांसफर प्रक्रिया पूरी करवाना जरूरी है। कई लोग इस काम को "बाद में" या "डीलर कर देगा" कहकर टाल देते हैं, जिससे भविष्य में दुर्घटना या जुर्माने की जिम्मेदारी पुराने मालिक की जगह आप पर आ सकती है।
सेकेंड हैंड कार खरीदते समय संयम, जांच और पूरी प्रक्रिया का पालन जरूरी है। सस्ती डील के चक्कर में जल्दबाजी ना करें - वरना "बचत" समझा गया फैसला आपकी जेब पर भारी पड़ सकता है।