E20 पेट्रोल वाहन मालिकों के लिए बना सिरदर्द! 80% लोगों की बढ़ी मुश्किलें, माइलेज और मेंटेनेंस पर असर
लोकल सर्किल्स द्वारा किए गए एक सर्वे में सामने आया है कि इस नए फ्यूल के कारण माइलेज में कमी और पुराने वाहनों की मेंटेनेंस लागत में वृद्धि हो रही है।

भारत में E20 पेट्रोल को लागू किया गया है, जिसमें 20% एथेनॉल शामिल है, लेकिन यह कदम वाहन मालिकों के लिए अब सिरदर्द साबित हो रहा है। सरकार भले ही इसे ग्रीन एनर्जी और क्लीन फ्यूल के रूप में प्रोत्साहित कर रही हो, लेकिन E20 के बाद आम लोगों को होने वाली समस्याएं कुछ और ही बता रही हैं।
लोकल सर्किल्स द्वारा किए गए एक सर्वे में सामने आया है कि इस नए फ्यूल के कारण माइलेज में कमी और पुराने वाहनों की मेंटेनेंस लागत में वृद्धि हो रही है।
80% लोगों को हो रही है समस्या
सर्वे में हिस्सा लेने वाले 36,000 वाहन मालिकों में से 80% ने बताया कि 2025 में उनकी गाड़ियों की फ्यूल एफिशिएंसी घट गई है, जबकि अगस्त में यह आंकड़ा केवल 67% था। यह आंकड़ा अक्टूबर तक बढ़कर 80% तक पहुंच गया। इसमें 69% पुरुष और 31% महिलाएं थीं, और आधे से ज्यादा लोग टियर-1 शहरों से थे।
बढ़ती शिकायतें और परफॉर्मेंस पर असर
E20 पेट्रोल के लागू होने के बाद से गाड़ियों के माइलेज और परफॉर्मेंस को लेकर शिकायतें बढ़ गई हैं, खासकर उन गाड़ियों में जिन्हें 2023 से पहले खरीदा गया था। वाहन मालिकों का कहना है कि यह फ्यूल ज्यादा पेट्रोल खपत करवा रहा है, जबकि सरकार का दावा था कि यह फ्यूल सभी वाहनों के लिए सुरक्षित है।
कई यूजर्स ने सोशल मीडिया पर अपना एक्सपीरियंस शेयर किया जिनमें कुछ का कहना था कि उनकी कार सुबह स्टार्ट नहीं हो रही, तो किसी ने इंजन रिपेयर पर हजारों-लाखों रुपये खर्च किए। चेन्नई में एक लग्जरी कार मालिक ने बताया कि उनकी कार का इंजन E20 की वजह से फेल हो गया और उन्हें ₹4 लाख तक की मरम्मत करवानी पड़ी।
पुराने वाहनों पर E20 का प्रभाव
सर्वे में यह भी सामने आया कि E20 पेट्रोल के कारण पुराने वाहनों में ज्यादा वियर एंड टियर और रिपेयर की जरूरतें बढ़ी हैं। 52% वाहन मालिकों ने बताया कि उनकी गाड़ियों में रिपेयर की जरूरतें बढ़ गई हैं, जबकि अगस्त में यह आंकड़ा 28% था।
सरकार का कहना है कि E20 का उद्देश्य ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देना और किसानों को लाभ पहुंचाना है, क्योंकि एथेनॉल मुख्य रूप से गन्ने से बनता है। लेकिन आम जनता का कहना है कि यह बदलाव मध्यम वर्गीय वाहन मालिकों की जेब पर भारी पड़ रहा है। लोकल सर्किल्स के पिछले सर्वे में आधे से ज्यादा लोगों ने यह सुझाव दिया था कि वे E20 का समर्थन तभी करेंगे जब इसे ऑप्शनल बनाया जाए और इसकी कीमत 20% कम रखी जाए।
ग्लोबल मार्केट में एथेनॉल
एथेनॉल ब्लेंडिंग का चलन ग्लोबल लेवल पर भी बढ़ रहा है। 2024 में ग्लोबल एथेनॉल मार्केट का मूल्य 98.5 बिलियन डॉलर था, जो 2035 तक 205.2 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। अमेरिका और ब्राजील इस क्षेत्र में प्रमुख उत्पादक हैं।
E20 फ्यूल क्या है?
E20 पेट्रोल एक ऐसा मिश्रण है जिसमें 20% एथेनॉल और 80% पारंपरिक पेट्रोल होता है। एथेनॉल एक बायो-फ्यूल है, जो मुख्य रूप से गन्ना, मक्का या अन्य फसलों से तैयार किया जाता है।
सरकार का उद्देश्य E20 को बढ़ावा देकर प्रदूषण को कम करना और किसानों की आमदनी में इजाफा करना है। हालांकि, पुराने वाहनों के इंजन और फ्यूल सिस्टम इस हाई एथेनॉल ब्लेंडिंग के लिए डिजाइन नहीं किए गए हैं, जिसके कारण माइलेज में गिरावट, स्टार्टिंग समस्याएं और मेंटेनेंस खर्च में वृद्धि जैसी समस्याएं हो रही हैं।