हाल ही में हुए बांग्लादेश में राजनीतिक संकट पैदा हो गया है इस बीच एक नाम बहुत ज़ोरों-शोरों में सुनने को आ रहा है वो है मुहम्मद यूनुस का नाम
मुहम्मद यूनुस बांग्लादेश ग्रामीण बैंक के संस्थापक हैं
यूनुस को ग्रामीण बैंक के माध्यम से गरीबी उन्मूलन अभियान चलाने के लिए 2006 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था, उनके इस तरीके को विभिन्न महाद्वीपों में अपनाया गया था
बांग्लादेश के अधिकारियों ने 2011 में वैधानिक ग्रामीण बैंक की गतिविधियों की समीक्षा शुरू की थी और सरकारी सेवानिवृत्ति विनियमन का उल्लंघन करने के आरोप में यूनुस को इसके संस्थापक प्रबंध निदेशक पद से हटा दिया था
यूनुस और हसीना सरकार के बीच अस्पष्ट कारणों से लंबे समय से विवाद है, हसीना के 2008 में सत्ता में आने के बाद अधिकारियों ने यूनुस के खिलाफ कई जांच शुरू की थीं
शेख हसीना उन्हें भ्रष्ट मानती हैं तो वहीं मुहम्मद यूनुस भी शेख हसीना को बांग्लादेश में लोकतंत्र का कातिल बताते हैं
यूनुस बांग्लादेश में लोकतंत्र की हत्या के लिए भारत को भी सहायक बताते हैं और कहते हैं कि शेख हसीना भारत का साथ पाकर ही चुनावों के बजाय तानाशाही के जरिए बांग्लादेश की सत्ता पर राज़ कर रही हैं
गरीब लोगों के लिए बैंकिंग सुविधा संबंधी यूनुस के प्रयोग ने बांग्लादेश को लघु ऋण का केंद्र होने की पहचान दिलाई थी
यूनुस फिलहाल देश से बाहर हैं, लेकिन उन्होंने हसीना के अपदस्थ होने का स्वागत किया और इस घटनाक्रम को देश की ‘‘दूसरी मुक्ति’’ करार दिया