गैया परिकल्पना 1970 में Chemist जेम्स लवलॉक और माइक्रोबायोलॉजिस्ट लिन मार्गुलिस द्वारा प्रस्तुत की गई थी। इसका मानना है कि पृथ्वी एक जीवित प्रणाली (Living systems) की तरह काम करती है, जो जीवन के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ बनाती है और इसे संतुलित रखने में पारिस्थितिकी तंत्र का योगदान होता है।
Royal Astronomical Society के एक नए स्टडी में यह बताया गया कि जलवायु परिवर्तन (Climate change) जैसे ग्रहीय व्यवधान (Planetary disruption) पृथ्वी की जैव विविधता (Biodiversity) और पारिस्थितिकीय लचीलापन (Ecological Resilience) को बढ़ावा देते हैं, जिससे जीवन के विकास के लिए नए अवसर उत्पन्न होते हैं।
2.5 बिलियन साल पहले, महान ऑक्सीकरण घटना ने पृथ्वी पर अवायवीय जीवन (Anaerobic Life) को समाप्त किया और ऑक्सीजन-साँस लेने वाले जीवों के लिए जीवन की शुरुआत की। यह घटना जीवन के अनुकूलन और विकास को दर्शाती है।
टेंगल्ड नेचर मॉडल का उपयोग करते हुए, शोधकर्ताओं ने यह साबित किया कि ग्रहीय व्यवधानों (Planetary disruptions) से जीवन में जैव विविधता और जटिलता बढ़ सकती है। इसका मतलब है कि कभी-कभी जीवन का पतन विकास के लिए आवश्यक होता है, क्योंकि इससे नई प्रजातियाँ और अवसर उत्पन्न होते हैं।
विनाशकारी घटनाओं के दौरान, जीवन अनुकूल परिस्थितियों वाले रिफ्यूजिया में बचा। ये सुरक्षित स्थान पारिस्थितिकी तंत्र के पुनर्निर्माण में सहायक होते हैं और जैव विविधता के विकास के लिए बीज तैयार करते हैं।
पीटर वार्ड ने मेडिया परिकल्पना (Medea hypothesis) का प्रस्ताव किया, जिसमें उनका मानना था कि जीवन अपने आप को समाप्त कर सकता है। उन्होंने महान ऑक्सीकरण जैसी घटनाओं को जीवन के आत्म-विनाश का प्रमाण बताया, जो पृथ्वी पर जीवन के भविष्य को चुनौती देता है।
खगोल वैज्ञानिक आर्वेन निकोलसन का मानना है कि उथल-पुथल, चाहे जितनी भी विनाशकारी क्यों न हो, विकास के लिए आवश्यक होती है। ये व्यवधान जीवन (Disruption Life) को नई दिशा देते हैं और जीवन में जटिलताएँ और विकास के नए अवसर उत्पन्न करते हैं।
यह अध्ययन पृथ्वी से बाहर जीवन की खोज में भी अहम हो सकता है। ग्रहों पर क्षुद्रग्रहों प्रभाव (Asteroids impact) या कक्षीय बदलाव (Orbital shift) जैसे व्यवधान, जीवन के लिए अधिक उन्नत पारिस्थितिकी तंत्र संकेत यानी (Signs of an advanced ecosystem) दे सकते हैं।
आलोचकों का कहना है कि इस अध्ययन के मॉडल को एक्सोप्लैनेट पर लागू करना मुश्किल हो सकता है, लेकिन इसे पृथ्वी से बाहर जीवन की संभावना के संकेतों से जोड़ने के लिए और शोध की आवश्यकता होगी।