एको ब्रह्म द्वितीयो नास्ति (एक ही ईश्वर है दूसरा नहीं)
आत्मा अमर है
पुनर्जन्म होता है
मोक्ष ही जीवन का लक्ष्य है
कर्म का प्रभाव होता है, जिसमें से कुछ प्रारब्ध रूप में होते हैं इसीलिए कर्म ही भाग्य है
संस्कारबद्ध जीवन ही जीवन है
ब्रह्मांड अनित्य और परिवर्तनशील है
संध्यावंदन-ध्यान ही सत्य है
वेदपाठ और यज्ञकर्म ही धर्म है
दान ही पुण्य है